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Monday, September 10, 2018

नालंदा विश्वविद्यालय की नई शुरुआत


नालंदा विश्वविद्यालय विश्व सर्वप्रथम विश्वविद्यालय में से एक है इसकी स्थापना 5वी शताब्दी ईसा पूर्व में हुई थी बताया जाता है कि महात्मा बुद्ध ने भी अपने जीवन काल के दौरान इस की यात्रा की थी इस की यात्रा की थी 7वी शताब्दी ईसा पूर्व अपने चरमोत्कर्ष पर इस विश्वविद्यालय में लगभग 10000 छात्रों को लगभग 2000 अध्यापकों के द्वारा शिक्षा दी जाती थी उसमें चीनी विद्वान  झुआन जांग ने भी इस विश्वविद्यालय का  दौरा किया था । नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त शासक कुमारगुप्त के शासनकाल के दौरान हुई थी 
पुनरुत्थान 
नालंदा के विनाश के 800 वर्ष बाद भारत की पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा मार्च 2006 में बिहार राज्य विधान सभा को संबोधित करने के दौरान नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करने के विचार को प्रेरित किया गया लगभग इसी दौरान सिंगापुर द्वारा भारत सरकार को नालंदा प्रस्ताव भेजा गया था इस प्रस्ताव में नालंदा विश्वविद्यालय की पुन स्थापना की मांग की एक बार फिर एशिया का केंद्र बिंदु होगा बिहार सरकार ने शीघ्र  ही इस दूरदर्शी  विचार को अपनाकर भारत सरकार से परामर्श किया और नालंदा विश्वविद्यालय के लिए उपयुक्त स्थान  की खोज  शुरू की इसके बाद राजगीर में 450 एकड़ भूमि का चयन कर उसका अधिग्रहण किया गया
अभिशासन 
भारत के राष्ट्रपति नालंदा विश्वविद्यालय की कुलाध्यक्ष  (विजिटर) है कुलपति (चांसलर) विश्वविद्यालय की प्रमुख और गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष है जो विश्वविद्यालय की शासी  निकाय की बैठकों और कनवोकेशन की अध्यक्षता करते हैं कुलाधिपति (वाइस चांसलर) विश्वविद्यालय के प्रमुख अकादमिक और कार्यकारी अधिकारी है वर्तमान में नालंदा विश्वविद्यालय के विजिटर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, चांसलर डॉ विजय भटकर और वाइस चांसलर, प्रोफेसर सुनैना सिंह है 

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